जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो। कुंडलपुर अवतारी, त्रिशलानंद विभो॥ ॥ ॐ जय.....॥ सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी। बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ तपधारी ॥ ॐ जय.....॥ आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी। माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ॥ ॐ जय.....॥ जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो। हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्म परिचार्यो ॥ ॐ जय.....॥ इह विधि चांदनपुर में अतिशय दरशायौ। ग्वाल मनोरथ पूर्यो दूध गाय पायौ ॥ ॐ जय.....॥ प्राणदान मन्त्री को तुमने प्रभु दीना। मन्दिर तीन शिखर का, निर्मित है कीना ॥ ॐ जय.....॥ जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी। एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी ॥ ॐ जय.....॥ जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवै। होय मनोरथ पूरण, संकट मिट जावै ॥ ॐ जय.....॥ निशि दिन प्रभु मन्दिर में, जगमग ज्योति जरै। हरि प्रसाद चरणों में, आनन्द मोद भरै ॥ ॐ जय.....॥